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लेखनी प्रतियोगिता -26-Aug-2022

गुज़रे वक्त की यादें ही बस साथ होती है,
करीबी दोस्तों से अब कहां बात होती है

वो भी तो दौर था जब शाम हुआ करती थी,
अब तो दिन ढल जाने पर सीधे रात होती है।

फोन पर ही अब थोड़ा बहुत संपर्क होता है,
दोस्तों से कहां पहले जैसी मुलाकात होती है।

दौलत की चकाचौंध में शरारत खो चुकी है,
ना कागज़ की कश्ती, ना वो बरसात होती है।

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15 Comments

Renu

28-Aug-2022 03:56 PM

👍👍

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Bahut khub 👌

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Chetna swrnkar

27-Aug-2022 08:01 PM

Bahot khub

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